चार साल में सबसे बड़ा मिसाइल टेस्ट:नॉर्थ कोरिया

user 31-Jan-2022 Defence

नॉर्थ कोरिया ने रविवार को एक बार फिर मिसाइल टेस्ट किया।

अमेरिकी फ्लाइट डेटा के मुताबिक, रविवार को किया गया टेस्ट चार साल में सबसे घातक मिसाइल टेस्ट था। माना जा रहा है कि यह बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट था। नए साल के पहले महीने यानी जनवरी के खत्म होने के पहले किम जोंग उन अब तक 7 मिसाइल टेस्ट कर चुका है। इनमें से ज्यादातर छोटी या कम दूरी की मिसाइलें थीं, लेकिन रविवार को किए गए टेस्ट के बारे में कहा जा रहा है कि यह बहुत खतरनाक था। इस टेस्ट से अमेरिका और साउथ कोरिया के अलावा जापान को भी खतरा है।

चीन के बॉर्डर पर टेस्ट
न्यूयॉर्क टाइम्स की स्पेशल रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया ने रविवार को सुबह यह टेस्ट जगांग एरिया में किया। यहां से चीन और नॉर्थ कोरिया की सीमाएं लगती हैं। साउथ कोरिया की मिलिट्री इंटेलिजेंस ने भी इस टेस्ट की पुष्टि की है। इसके बाद अमेरिका और साउथ कोरिया के अफसरों ने टेलिफोन पर भी बातचीत की।

साउथ कोरिया के मुताबिक रविवार को किया गया टेस्ट साफ तौर पर यूएन की गाइडलाइन के खिलाफ था। यह मिसाइल नॉर्थ कोरिया की समुद्री सीमा में गिराई गई। 2017 के बाद पहली बार इतनी खतरनाक मिसाइल का टेस्ट किया गया है। नॉर्थ कोरिया को तनाव बढ़ाने से बाज आना चाहिए। इससे दुनिया पर ही खतरा मंडराने लगेगा।source: bhaskar

 

बाइडेन पर दबाव बढ़ेगा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ईरान पर एटमी कार्यक्रम रोकने और समझौता करने के करीब माने जा रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ नॉर्थ कोरिया है। बाइडेन ने इस पर अब तक तवज्जो नहीं दी है। पिछले दिनों एक रिपोर्ट में कहा गया था कि किम जोंग उन इसलिए लगातार टेस्ट कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन उसे तवज्जो नहीं दे रहे हैं। बाइडेन ने पिछले साल जनवरी में सत्ता संभालने के बाद एक बार भी नॉर्थ कोरिया के तानाशाह से बातचीत नहीं की। डोनाल्ड ट्रम्प इसके उलट लगातार नॉर्थ कोरिया के संपर्क में थे।

रोकने की ताकत सिर्फ दो देशों के पास
अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट डॉक्टर लॉरा ग्रेगो के मुताबिक, हाइपरसोनिक मिसाइलें उतनी भी खतरनाक नहीं हैं, जितनी बताई जाती हैं। इसके कोई शक नहीं कि इनकी रफ्तार और दूरी बहुत ज्यादा है, लेकिन ये कहना सही नहीं है कि इन्हें ट्रैक नहीं किया जा सकता। इन मिसाइलों से रोशनी और गर्मी निकलती है। अमेरिका और रूस के पास इन्फ्रारेड सैटेलाइट टेक्नोलॉजी है। ये मिसाइल से निकलने वाली गर्मी से उसे डिटेक्ट कर सकती है। दूसरी बात, टारगेट पर पहुंचने से पहले इनकी रफ्तार काफी कम हो जाती है। तब भी इन्हें डिटेक्ट और डेस्ट्रॉय किया जा सकता है। इंफ्रारेड टेक्नीक के जरिए इनका रास्ता पता किया जा सकता है।

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