आखिर क्या है ? कच्चे तेल का गणित

user 17-Jan-2024 Business

वित्त वर्ष 2023 में, रूस-यूक्रेन वॉर के बाद कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं थी. जिसका प्रमुख कारण वॉर की वजह से सप्लाई कम होना था. वैसे खाड़ी देशों का ब्रेंट क्रूड और अमेरिकी कच्चा तेल वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 2023 में 10 फीसदी से ज्यादा कम हो गए और 2020 के बाद से वर्ष के अंत में अपने सबसे निचले लेवल पर बंद हुए. जनवरी में अब तक, इंडियन क्रूड ऑयल बास्केट का औसत 77.85 डॉलर प्रति बैरल रहा है, जबकि अप्रैल 2023 में यह 83.76 डॉलर प्रति बैरल था. इसका मतलब है कि तब से अब तक इंडियन बास्केट 7 फीसदी से ज्यादा सस्ता हो चुका है.

रिपोर्ट्स में  वित्त वर्ष के अप्रैल-दिसंबर के दौरान भारत का तेल और गैस इंपोर्ट बिल में साल-दर-साल 21 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है और कच्चे तेल की कीमतों में कमी वजह से इस दौरान टोटल बिल 89.9 बिलियन डॉलर यानी 7.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है. अगर इस बिल की कैलकुलेशन एक सेकंड के हिसाब से करें तो 3,14,618 रुपए बन रहा है.

इन शॉर्ट : भारत सरकार के इंपोर्ट बिल में सबसे ज्यादा पैसा कच्चे तेल और नेचुरल गैस का होता है. अगर आप इसे आसान भाषा समझना चाहते हैं तो बस इतना समझ लीजिए कि सरकार हर सेकंड में कच्चे तेल और नेचुरल गैस के लिए 3,14,618 रुपए का बिल भरती है. 
दोस्तों ये आंकड़ा  पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का है. जोकि पेट्रोलियम मिनिस्ट्री का ही डिपार्टमेंट है. वास्तव में सरकार की इस एजेंसी ने देश के कच्चे तेल और नेचुरल गैस के इंपोर्ट के वॉल्यू और बिल के बारे में जानकारी दी है.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये जानाकारी अप्रैल 2023 से लेकर दिसंबर 2023 यानी मौजूदा वित्त वर्ष की 3 तिमाहियों की है. 

 

हल्ला बोल एक्सप्रेस
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