Thursday, December 07, 2023
हिन्दी कविता बच्चों के लिए
(1) पर्वत कहता – Parvat Kehtaपर्वत कहता
शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है
लहराकर
मन में गहराई लाओ।
समझ रहे हो
क्या कहती है
उठ-उठ गिर गिर तरल तरंग।
भर लो, भर लो
अपने मन में
मीठी-मीठी मृदुल उमंग।
धरती कहती
धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता है
फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार।– सोहन लाल द्विवेदी
(2) चिड़िया का घर – Chidiya Ka Gharचिड़िया, ओ चिड़िया,
कहाँ है तेरा घर?
उड़-उड़ आती है
जहाँ से फर-फर!
चिड़िया, ओ चिड़िया,
कहाँ है तेरा घर?
उड़-उड़ जाती है-
जहाँ को फर-फर!
वन में खड़ा है जो
बड़ा-सा तरुवर!
उसी पर बना है
खर-पातों वाला घर!
उड़-उड़ आती हूँ
वहीं से फर-फर!
उड़-उड़ जाती हूँ
वहीं को फर-फर!– हरिवंश राय बच्चन
(3) आ रही रवि की सवारी – Aa Rahi Ravi Ki Sawariआ रही रवि की सवारी।
नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने
स्वहर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी!
विहग, बंदी और चारण,
गा रही है कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी,
तारकों की फ़ौज सारी।
आ रही रवि की सवारी!
चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह-
रात का राजा खड़ा है,
राह में बनकर भिखारी।
आ रही रवि की सवारी!– हरिवंश राय बच्चन
(4) लल्लू जी की पतंग – Lalu Ji Ki Patangबातें करे हवा के संग
लल्लू जी की लाल पतंग।
आसमान में लहर रही है
एक जगह न ठहर रही है।
इधर भागती उधर भागती
खूब करे मस्ती हुड़दंग।
हरी, गुलाबी, नीली, काली
की इसने छुट्टी कर डाली।
बीस पतंगें काट चुकी है
बड़ी बहादुर, बड़ी दबंग।
सभी पतंगों से सुंदर है
सबकी इस पर टिकी नजर है।
ललचाता है सबको इसका
अति प्यारा मनमोहक रंग।– शादाब आलम
(5) Baccho Ki Poem – हिन्दी कविता बच्चों के लिएसूरज की किरणें आती हैं,
सारी कलियां खिल जाती हैं,
अंधकार सब खो जाता है,
सब जग सुंदर हो जाता है।
चिड़ियां गाती हैं मिलजुल कर,
बहते हैं उनके मीठे स्वर,
ठंडी-ठंडी हवा सुहानी,
चलती है जैसी मस्तानी।
यह प्रातः की सुख बेला है,
धरती का सुख अलबेला है,
नई ताजगी, नई कहानी,
नया जोश पाते हैं प्राणी।
खो देते हैं आलस सारा,
और काम लगता है प्यारा,
सुबह भली लगती है उनको,
मेहनत प्यारी लगती जिनको।
मेहनत सबसे अच्छा गुण है,
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है,
अगर सुबह भी अलसा जाए,
तो क्या जग सुंदर हो पाए।– श्री प्रसाद
(6) टीचर जी मत पकड़ो कान – Teacher Ji Mat Pakdo Kaanटीचर जी!
मत पकड़ो कान।
सरदी से हो रहा जुकाम II
लिखने की नही मर्जी है।
सेवा में यह अर्जी है
ठण्डक से ठिठुरे हैं हाथ।
नहीं दे रहे कुछ भी साथ II
आसमान में छाए बादल।
भरा हुआ उनमें शीतल जल II
दया करो हो आप महान।
हमको दो छुट्टी का दान II
जल्दी है घर जाने की।
गर्म पकोड़ी खाने की II
जब सूरज उग जाएगा।
समय सुहाना आयेगा II
तब हम आयेंगे स्कूल।
नहीं करेंगे कुछ भी भूल II– डॉ रूप चंद्र शास्त्री ‘मयंक’
(7) तितली रानी तितली रानी – Titli Rani Poemतितली रानी तितली रानी
कितनी प्यारी कितनी सयानी!
रंग बिरंगे पंख सजीले!
लाल, गुलाबी, नीले, पीले !
फूल फूल पर जाती हो !
गुनगुन-गुनगुन गाती हो !
कली कली पर मंडराती हो!
मीठा मीठा रस पीकर उठ जाती हो!
अपने कोमल पंख दिखाती!
सबको उनसे है सहलाती! ।
तितली रानी तितली रानी
कितनी सुन्दर, तितली रानी,
इस बगिया में आना रानी!
तितली रानी तितली रानी(8) बतूता का जूता – Baccho Ki Poem
इब्न बतूता पहन के जूता,
निकल पड़े तूफान में।
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
थोड़ी घुस गई कान में।
कभी नाक को कभी कान को।
मलते इब्न बतूता,
इसी बीच में निकल पड़ा उनके पैरों का जूता।
उड़ते-उड़ते उनका जूता,
जा पहुँचा जापान में।
इब्न बतूता खड़े रह गए,
मोची की दूकान में।– सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(9) आए बादल – Chhote Bachho Ki Poemआसमान पर छाए बादल,
बारिश लेकर आए बादल।
गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में,
ढोल-नगाड़े बजाए बादल।
बिजली चमके चम-चम, चम-चम,
छम-छम नाच दिखाए बादल।
चले हवाएँ सन-सन, सन-सन,
मधुर गीत सुनाए बादल।
बूंदें टपके टप-टप, टप-टप,
झमाझम जल बरसाए बादल।
झरने बोले कल-कल, कल-कल,
इनमें बहते जाए बादल।
चेहरे लगे हंसने-मुस्कुराने,
इतनी खुशियां लाए बादल– ओम प्रकाश चोरमा
(10) मुर्गे की शादी – Baccho Ki Poemढम-ढम, ढम-ढम ढोल बजाता
कूद-कूदकर बंदर,
छम-छम घुँघरू बाँध नाचता
भालू मस्त कलंदर!
कुहू-कुहू-कू कोयल गाती
मीठा मीठा गाना,
मुर्गे की शादी में है बस
दिन भर मौज उड़ाना!– श्री प्रसाद
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Source:hindipoem.org