अगले महीने भारत को S-400 की तीसरी खेप भेजेगा रूस

user 11-Oct-2022 Defence

अगले महीने भारत को S-400 की तीसरी खेप भेजेगा रूस

 

यूक्रेन पर भीषण हमलों के बावजूद अगले महीने भारत को S-400 भेजेगा रूस

 

रूस ने यूक्रेन से युद्ध के बीच भी भारत को एस-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम्स की आपूर्ति बेहतर ढंग से जारी रखी है। रूसी राजदूत ने डेनिस एलिपोव ने रविवार को इसकी पुष्टि की। एलिपोव की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत की तरफ से एस-400 की डिलीवरी में देरी की आशंका जताते हुए चिंता जाहिर की गई थी।

 

Air defence system S-400 : यूक्रेन के खिलाफ रूस ने अपनी आक्रामकता बढ़ा दी है, इसके बावजूद वो अगले महीने S-400 की तीसरी खेप भारत को भेजना शुरू कर देगा। अब तक भारत को तय शेड्यूल के हिसाब से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की दो यूनिट मिल चुकी हैं जिनकी तैनाती भी पूरी की जा चुकी है।

 

S-400 3 मिनट के भीतर खतरे का जवाब दे सकता है

 

S400 प्रणाली की संरचना के लिए, इस प्रणाली की प्रत्येक रेजिमेंट में 8 लॉन्चर शामिल हैं, और प्रत्येक लॉन्चर में 4 मिसाइल हैं, जिसका अर्थ है कि एक रेजिमेंट एक बार में 32 मिसाइल लॉन्च कर सकती है। S400 एक बार में 80 टारगेट को ट्रैक कर सकता है। S-400 3 मिनट के भीतर खतरे का जवाब दे सकता है। S400 सिस्टम की एक रेजिमेंट में लगभग 14 से 16 वाहन होते हैं जिनमें कमांड और कंट्रोल, लॉन्च व्हीकल और लॉन्ग-रेंज रडार व्हीकल शामिल हैं।

 

रूस के एस 400 वायु रक्षा प्रणाली के तीसरे ऑपरेशनल स्क्वाड्रन के लिए डिलीवरी अगले महीने भारत आना शुरू हो जाएगी। रक्षा सूत्रों के अनुसार, "एस-400 के लिए पार्ट्स नवंबर में रूस से भारत पहुंचना शुरू हो जाएंगे।"
 

भारत को दो एस-400 स्क्वाड्रन मिल चुके हैं

रूस अब तक भारत को दो एस-400 स्क्वाड्रन मुहैया करा चुका है। फरवरी में यूक्रेन के साथ संघर्ष शुरू होने के बाद रूस ने दूसरा स्क्वाड्रन भारत भेजा था। एक S-400 स्क्वाड्रन को एलएसी के संवेदनशील इलाके के पास नॉर्दन सेक्टर में तैनात किया गया है, जबकि एक यूनिट पंजाब में लगाई गई गई है। एक अधिकारी के मुताबिक S-400 की तीसरी स्क्वाड्रन को राजस्थान के पास तैनात किया जा सकता है।
 

S-400 की दूसरी रेजिमेंट की तैनाती LAC पर

रूस से भारत को मिलने वाली S-400 मिसाइल सिस्टम की दूसरी रेजीमेंट की डिलीवरी पूरी कर ली गई है। इस सिस्टम के शुरुआती सिमुलेटर और हिस्से अप्रैल के महीने में ही समुद्र के रास्ते भारत में पहुंचना शुरू हो चुके थे और लगातार S-400 की दूसरी रेजिमेंट के सभी हिस्से डेप्लॉय किए जा रहे हैं। S-400 की दूसरी रेजिमेंट की तैनाती चीन के बॉर्डर के पास एलएसी पर की जा रही है। S-400 का पहला रेजिमेंट दिसंबर 2021 में ही भारत पहुंच गया था जिसका डेप्लॉयमेंट देश के पश्चिमी बॉर्डर पर किया जा चुका है। हाल ही में एलएसी पर चीन की तरफ से लड़ाकू विमानों की एक्सरसाइज तेज की गई थी जिसमें हर दिन चीन की वायुसेना के लड़ाकू विमान कम से कम 2 बार एलएसी के नजदीक तक उड़ान भर रहे थे। इन फ्लाइट सौर्टी को देखते हुए जल्द एलएसी पर एस 400 की तैनाती करना बेहद जरूरी था।
 

भारत और रूस के बीच 2018 में हुआ सौदा

भारत और रूस ने 2018 में S400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों की पांच रेजिमेंटों के लिए 39000 करोड़ रुपये के सौदे को पूरा किया था। सभी पांच S400 सिस्टम 2023 के अंत तक भारत में पहुँच जाएंगे। S400 प्रणाली दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली है जिसकी सीमा 2 किमी से 400 किमी तक होती है। यह 600 किलोमीटर की दूरी से किसी भी हवाई खतरे को ट्रैक कर सकता है। S400 को अक्सर भारत के लिए 'गेम चेंजर' के रूप में जाना जाता है जो पाकिस्तान और चीन से दोहरे खतरे से निपट रहा है। S400 सिस्टम किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल, दुश्मन के विमान या ड्रोन को ट्रैक और नष्ट कर सकता है जो भारतीय हवाई क्षेत्र में आक्रमण करता है।
 

भारत और रूससच्ची दोस्तीबनाए रखने में सफल रहे हैं


भारत-रूस संबंधों के 75 साल पूरे होने का जिक्र करते हुए अलीपोव ने कहा कि दोनों देश इन वर्षों में ‘सच्ची दोस्ती और आपसी विश्वास’ बनाए रखने में सफल रहे हैं. रूसी राजदूत ने कहा, “आज का रूस-भारत बहुआयामी सहयोग दो अंतर सरकारी आयोगों की नियमित बैठकों, क्षेत्रवार मंत्रिस्तरीय, सुरक्षा सलाहकारों और वरिष्ठ अधिकारियों के संवाद, विदेश कार्यालय परामर्श तथा वैश्विक क्षेत्र में समन्वय के साथ दुनिया के सबसे विस्तृत सहयोगों में से एक है.”


अलीपोव ने कहा कि रूस और भारत प्रमुख पहलों को सफलतापूर्वक लागू करना जारी रखे हुए हैं, जो सहयोग को ‘अद्वितीय’ बनाते हैं. उन्होंने कहा कि इन पहलों में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना, एके-203 राइफल निर्माण कार्यक्रम, लड़ाकू विमान निर्माण में सहयोग, मुख्य युद्धक टैंक के निर्माण के साथ-साथ फ्रिगेट, पनडुब्बी, ब्रह्मोस और अन्य मिसाइल परियोजनाओं का निर्माण शामिल है.

 

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