हिमाचल में 5000 साल पुराना देवदार का उल्टा पेड़

user 27-Sep-2022 उपन्यास

हिमाचल में 5000 साल पुराना देवदार का उल्टा पेड़

 

क्या है टुंडा राक्षस की कहानी?

 

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में देवदार का एक ऐसा पेड़ मौजूद हैं जो देखने में ऐसा लगता है मानो उल्टा खड़ा हो। बताया जाता है कि इस पेड़ की उम्र करीब 5000 साल है। वैसे इस तरह के कई पेड़ दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद हैं मगर मान्यता तो मान्यता है। ऐसा नहीं है कि यह देखने में ही ऐसा लगता है मानो जड़ें ऊपर की तरफ हों और टहनियों का झुकाव आम पेड़ों के विपरीत हो, इसके लेकर एक कहानी भी प्रचलित है। इस पेड़ को कहा जाता है- टुंडा राक्षस की केलो। स्थानीय भाषा में देवदार को केलो कहा जाता है। आइए जानते हैं कि टुंडा राक्षस की क्या कहानी है और उसका इस पेड़ से क्या संबध है।

उल्टे पेड़ की ये है कहानी

देवदार का यह पेड़ हिमाचल के ऊंची घाटी स्थित हलाण के कुम्हारटी में है. फाल्गुन महीने में इस पेड़ के नीचे फागली मेला मनाया जाता है. इस मेले में टुंडा राक्षस एक पात्र होता है. कहा जाता है कि हलाण इलाके के देवता वासुकी नाग ने किसी शक्ति की परीक्षा लेने के लिए इस पेड़ को जमीन से उखाड़कर उल्टा खड़ा कर दिया था. वासुकी नाग ने उस दिव्य शक्ति से कहा था कि सुबह तक यह पेड़ सूखना नहीं चाहिए, दिव्य शक्ति के प्रभाव से पेड़ सूखा नहीं, बल्कि उसकी जड़ें हरी-भरी हो गईं और उनमें कोपलें निकल आईं.

जानें टुंडा राक्षस और फागली उत्सव के बारे में

पौराणिक मान्यता है कि जिस दौर में यहां वासुकी नाग रहते थे, उसी टुंडा नाम का राक्षस आतंक फैला रहा था. आसपास के सभी देवी-देवता जब उसे वश में न कर सके तो वासुकी नाग से सलाह मांगी गई. उन्होंने कहा कि टुंडा की शादी टिबंर शाचकी से करवा दी जाए. टिंबर शाचकी के सामने प्रस्ताव रखा गया. इसके बदले टिबंर शाचकी ने कहा कि मैं तैयार तो हूं मगर साल में एक बार इस उल्टे पेड़ के पास आऊंगी और इस दौरान मुझे खाने-पीने का सारा सामान यहां पहुंचा दिया जाए. शर्त मान ली गई टिंबर शाचकी का विवाह टुंडा राक्षस से करवा दिया गया. मगर टुंडा राक्षस फिर भी नहीं माना. आखिर में वासुकी नाग ने टुंडा को इस देवदार के पास बांध दिया. देवताओं के पुजारी कहते हैं कि इसी की याद में फागली उत्सव आज भी मनाया जाता है और सांकेतिक रूप से यह पंरपरा निभाई जाती है.

पर्यटकों के लिए आकर्षण है ये पेड़

स्थानीय लोगों की तो यह भी मान्यता है कि जब देवता के इलाके में कोई प्राकृतिक विपदा आती है तो देवता इस पेड़ पर बिजली गिराकर इलाके की रक्षा करते हैं. मनाली और क्लाथ के बीच जंगल में एक चट्टान के ऊपर एक और ऐसा ही देवदार का वृक्ष है. इसका व्यास 21 फुट और ऊंचाई करीब 75 फुट है. इसकी आयु 5000 साल से पुरानी बताई जाती है. देखने में यह छतरी जैसा लगता है. इसे जमलू केलो कहा जाता है यानी देवता जमलू का देवदार, इस पेड़ को देखने के लिए काफी पर्यटक आते हैं.

देवदार का यह पेड़ ऊझी घाटी स्थित हलाण के कुम्हारटी में है। फाल्गुन महीने में इस पेड़ के नीचे फागली मेला मनाया जाता है। इस मेले में टुंडा राक्षस एक पात्र होता है। कहा जाता है कि हलाण इलाके के देवता वासुकी नाग ने किसी शक्ति की परीक्षा लेने के लिए इस पेड़ को जमीन से उखाड़कर उल्टा खड़ा कर दिया था। ऐसे में आज भी यह देखने में ऐसा ही लगता है।

 

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