वर्षो की तपस्या सफल हुई
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Thursday, November 21, 2024
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अयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं,प्रधानमंत्री मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या के ऐतिहासिक क्षण का एक खूबसूरत और मनमोहक वीडियो शेयर किया है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये क्षण अलौकिक है. ये क्षण पवित्रम है. सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए. हमारे लिए ये अवसर विजय का नहीं है विनय का भी है. राम सिर्फ हमारे नहीं है राम तो सबके हैं. .जैसा की पूरा भारत जनता है कि सोमवार यानी 22 जनवरी को नए बने मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई. गर्भगृह में रामलला की 51 इंच की विग्रह स्थापित की गई जिसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तराशा है. जिस शिला को मूर्ति का रूप दिया गया है उसकी खुदाई मैसूर के एचडी कोटे तालुका में जयापुरा होबली में गुज्जेगौदानपुरा से की गई थी. अब उस पत्थर से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है. पीटीआई ने राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से बताया है कि जिस चट्टान के पत्थर से मूर्ति तराशी गई है वो 3 अरब साल पुरानी है. मतलब 300 करोड़ साल पुरानी चट्टान से कृष्ण शिला निकाली गई और फिर अरुण योगीराज ने उसको मूर्ति का रूप दिया. ट्रस्ट के मुताबिक, यह एक महीन से मध्यम दाने वाली और आसमानी-नीली मेटामर्फिक चट्टान है. इसकी सतह चिकनी होने की वजह से इसे सोपस्टोन कहा जाता है. आमतौर पर सोपस्टोन मूर्तिकारों के लिए मूर्तियां बनाने के लिए आदर्श माना जाता है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें अपनी ओर से छत्र भी भेंट की. इसके साथ-साथ पीएम ने रामलला के लिए एक और उपहार लेकर आए थे जिसकी तस्वीर सामने आई है. उपहार में साड़ी और रामलला के लिए वस्त्र शामिल थे. पीएम मोदी को यह उपहार तमिलनाडु के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पीठासीन देवता की ओर से अयोध्या में राम मंदिर ले जाने के लिए दिया गया था. हल्ला बोल एक्सप्रेस https://hallabolexpress.com/
अयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं,प्रधानमंत्री मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या के ऐतिहासिक क्षण का एक खूबसूरत और मनमोहक वीडियो शेयर किया है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये क्षण अलौकिक है. ये क्षण पवित्रम है. सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए. हमारे लिए ये अवसर विजय का नहीं है विनय का भी है. राम सिर्फ हमारे नहीं है राम तो सबके हैं.
.जैसा की पूरा भारत जनता है कि सोमवार यानी 22 जनवरी को नए बने मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई. गर्भगृह में रामलला की 51 इंच की विग्रह स्थापित की गई जिसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तराशा है. जिस शिला को मूर्ति का रूप दिया गया है उसकी खुदाई मैसूर के एचडी कोटे तालुका में जयापुरा होबली में गुज्जेगौदानपुरा से की गई थी. अब उस पत्थर से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है.
पीटीआई ने राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से बताया है कि जिस चट्टान के पत्थर से मूर्ति तराशी गई है वो 3 अरब साल पुरानी है. मतलब 300 करोड़ साल पुरानी चट्टान से कृष्ण शिला निकाली गई और फिर अरुण योगीराज ने उसको मूर्ति का रूप दिया. ट्रस्ट के मुताबिक, यह एक महीन से मध्यम दाने वाली और आसमानी-नीली मेटामर्फिक चट्टान है. इसकी सतह चिकनी होने की वजह से इसे सोपस्टोन कहा जाता है. आमतौर पर सोपस्टोन मूर्तिकारों के लिए मूर्तियां बनाने के लिए आदर्श माना जाता है.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें अपनी ओर से छत्र भी भेंट की. इसके साथ-साथ पीएम ने रामलला के लिए एक और उपहार लेकर आए थे जिसकी तस्वीर सामने आई है. उपहार में साड़ी और रामलला के लिए वस्त्र शामिल थे. पीएम मोदी को यह उपहार तमिलनाडु के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पीठासीन देवता की ओर से अयोध्या में राम मंदिर ले जाने के लिए दिया गया था.
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